दुर्गाभाभी

#नाज़_है_जिनपर_हिन्द_को
भारत की '#आयरन_लेडी' नाम से प्रसिद्ध, 
वीरांगना क्रांतिकारी स्व. #दुर्गाभाभी 
(दुर्गावती बोहरा, जन्म कौशाम्बी, पुत्री पं. बांके बिहारी भट्ट, 
पत्नी क्रांतिकारी स्व. पं. भगवती चरण बोहरा, लाहौर) 
को उनकी114वीं जयंती 
(7 - October - 1907) के अवसर पर 
सादर श्रद्धांजलि, कोटि-कोटि नमन.

स्व. आज़ाद जी के अनुरोध पर 'फ़िलासफ़ी ऑफ बम' लेख (बाद में ‘हिंदुस्तान प्रजातन्त्र समाजवादी सभा का घोषणापत्र’ के नाम से मशहूर, जिसमे गांधी जी को 'छद्मवेशी महात्मा' कहा गया) लिखने वाले क्रांतिकारी भगवती चरण बोहरा की पत्नी होने के कारण दुर्गावती जी को सभी क्रांतिकारियों में भाभी / दुर्गा भाभी के नाम से पुकारा जाता था जो बाद में इनकी सर्वमान्य पहचान बन गया.

दुर्गा भाभी ने भगत सिंह को लाहौर जिले से छुड़ाने का प्रयास किया, इसी क्रम में उन्होंने 9 अक्टूबर 1930 को दुर्गा भाभी ने पंजाब प्रांत के गवर्नर हैली पर गोली चलाई थी जिसमें गवर्नर हैली तो बच गया लेकिन सैनिक अधिकारी टेलर घायल हो गया था, मुंबई के पुलिस कमिश्नर को भी दुर्गा भाभी ने गोली मारी थी.

1928 में जब अंग्रेज अफसर साण्डर्स को मारने के बाद भगत सिंह व राजगुरु लाहौर से कलकत्ता के लिए निकले, तो कोई उन्हें पहचान न सके इसलिए दुर्गा भाभी की सलाह पर एक सुनियोजित रणनीति के तहत भगत सिंह पति, दुर्गा भाभी उनकी पत्नी और राजगुरु नौकर बनकर वहाँ से निकले. 

1927 में लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिये लाहौर में बुलायी गई बैठक की अध्यक्षता दुर्गा भाभी ने की. बैठक में अंग्रेज पुलिस अधीक्षक जे.ए. स्काट को मारने का जिम्मा वे खुद लेना चाहती थीं, पर संगठन (स्व. आज़ाद जी के नेतृत्व वाला ' हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन' जिसकी वे पूर्णकालिक सदस्य रहीं) ने उन्हें यह जिम्मेदारी नहीं दी.

क्रांतिवीर चंद्रशेखर आजाद की पहचान उनकी 'बमतुलबुखारा' (कोल्ट कंपनी की सेमी-ऑटोमैटिक, हैमर-लेस, स्मोक-लेस, 32 बोर की, 8 बुलेट मैगजीन वाली पिस्टल; अंग्रेजों से लड़ते वक्त इसी पिस्टल से क्रांतिवीर ने स्वयं का आत्मोसर्ग किया था) दुर्गा भाभी ने ही लाकर उनको दी थी. 

वे स्वतंत्रता सेनानियों के हर आक्रमक योजना का हिस्सा बनी. दुर्गा भाभी क्रांतिकारियों के लिए बम बनाती थीं तो दूसरी ओर अंग्रेजो से लोहा लेने जा रहे देश के सपूतों को अपने रक्त का टीका लगाकर विजय पथ पर भी भेजती थीं.

भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त के केंद्रीय असेंबली में बम फेंकने जातेे समय दुर्गा भाभी ने अपनी बांह काट कर अपने रक्त से दोनों लोगों को तिलक लगाकर विदा किया था.

लखनऊ (कैंट रोड, नजीराबाद) का "मांटेसरी इंटर कालेज" इन्होंने ही खोला था.

वीरांगना दुर्गाभाभी ने सन् 1999 (गाज़ियाबाद) में स्वर्गलोक को प्रस्थान किया.

#भारत_की_वीरांगनाएं
आपके चरणों मे कोटि-कोटि नमन 🙏

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