समर्थ_रामदास_जी

 
                    समर्थ_रामदास_जी
छत्रपति शिवाजी महाराज के #गुरु थे और उन्हें महाराष्ट्र के महान संत के रूप में माना जाता हैं. समर्थ रामदास ने बचपन से ही राम भक्ति में जुड़ गए थे. जिसके बाद उन्होंने शिवाजी के साम्राज्य में हिन्दू धर्म में प्रचार-प्रसार किया. दक्षिण भारत के उन्हें प्रत्यक्ष भगवान हनुमान का अवतार मानकर पूजा जाता है. उन्होंने कई पुस्तकों को लेखन लिया था. जिसमे से प्रमुख पुस्तक "दासबोध" हैं जो कि मराठी भाषा में लिखी गयी हैं. समर्थ रामदास के समाधी दिवस को "दास नवमी" के रूप में मनाया जाता हैं.भारत भ्रमण के दौरान समर्थ रामदास की भेट सिखों के चौथे गुरु हरगोविन्दजी से श्रीनगर में होती हैं. गुरु हरगोबिंद जी जी उनको मुग़ल साम्राज्य में हो रही लोगों की दुर्दशा के बारे में बताते हैं. मुस्लिम शासकों के अत्याचार, रमजान की आर्थिक स्थिति को देखकर समर्थ रामदास का मन पसीज उठा. जिसके बाद उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति से बदलकर स्वराज्य स्थापना कर लिया. जिसके बाद वह पूरे भारतवर्ष में जनता को संगठित होकर शासकों के अत्याचार से मुक्ति प्राप्त करने के उपदेश देने लगे.इस दौरान उन्होंने कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कुल 1100 मठ और अखाड़ों की स्थापना की. जिसमे लोगों को खुद को मुक्त कर जुर्म और अत्याचार से बचने की शिक्षा दी जाती थी. उनके इसी उद्देश्य प्राप्ति के दौरान उनकी मुलाकात छत्रपति शिवाजी से हुई. छत्रपति रामदास के गुणों से बेहद प्रभावित हुए और उन्हें गुरु मानकर अपना पूरा मराठा राज्य दान कर दिया. रामदास शिवाजी से कहते हैं "यह राज्य न तुम्हारा हैं न ही मेरा. यह राज्य श्री राम का हैं. हम सिर्फ न्यासी हैं".

रामदास की शिवाजी से इस मुलाकात के बाद शिवाजी ने उनके स्वराज्य स्थापना के स्वप्न को साकार किया और पूरे दक्षिण भारत तक मराठा साम्राज्य का विस्तार किया.

Comments

Popular Posts