बाबा टांगीनाथ धाम 🙏

बाबा टांगीनाथ धाम 🙏
भगवान परशुराम और उनके #फरसे के बारे में सुना ही होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि वो फरसा आज भी धरती पर मौजूद है. जी हां, ये दावा किया जाता है कि एक पहाड़ी पर स्थित एक मंदिर में भगवान परशुराम का फरसा गड़ा हुआ है, जिसे खुद परशुराम ने ही गाड़ा था. इस फरसे से जुड़ी एक बेहद ही रहस्यमय कहानी है, जिसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे.आज हम आपको इसी कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो की हैरान कर देने वाली है.दरअसल,झारखंड की राजधानी रांची से करीब 150 किलोमीटर दूर गुमला जिले में एक पहाड़ी है,जहां स्थित है टांगीनाथ धाम, इसी धाम के एक मंदिर में मौजूद है भगवान परशुराम का फरसा. वैसे तो यह फरसा खुले आसमान के नीचे मौजूद है, लेकिन आज तक इसमें कभी जंग नहीं लगा है. यह किसी रहस्य से कम नहीं है कि हजारों साल बाद भी यह सुरक्षित कैसे बचा हुआ है. इसी धाम के एक मंदिर में मौजूद है भगवान परशुराम का फरसा.  वैसे तो यह फरसा खुले आसमान के नीचे मौजूद है, लेकिन आज तक इसमें कभी जंग नहीं लगा है. यह किसी रहस्य से कम नहीं है कि हजारों साल बाद भी यह सुरक्षित कैसे बचा हुआ है. ये भी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस फरसे से छेड़छाड़ की कोशिश करता है, उसे इसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ता है. कहते हैं कि एक बार लोहार जनजाति के कुछ लोगों ने फरसे को जमीन से उखाड़ कर ले जाने की कोशिश की थी, लेकिन जब फरसा नहीं उखड़ा तो उन्होंने उसके ऊपरी भाग को काट दिया. हालांकि उसे भी वो ले जाने में नाकाम रहे. ये भी कहा जाता है कि इस घटना के बाद आसपास रहने वाले लोहार जनजाति के लोगों की एक-एक मौत होने लगी, जिसके बाद वो इलाका ही छोड़कर चले गए आज भी इस जनजाति के लोग आसपास के गांवों में रहने से घबराते हैं.भगवान परशुराम के टांगीनाथ धाम आने और वहां अपना फरसा जमीन में गाड़ने के पीछे एक दिलचस्प कहानी छुपी हुई है, भगवान परशुराम के टांगीनाथ धाम आने और वहां अपना फरसा जमीन में गाड़ने के पीछे एक दिलचस्प कहानी छुपी हुई है. ऐसी मान्यता है कि त्रेतायुग में जनकपुर में माता सीता के स्वयंवर के दौरान जब भगवान राम ने शिवजी का धनुष तोड़ा तो उसकी भयंकर ध्वनि सुनकर परशुराम जी गुस्सेमें जनकपुर पहुंच गए, जैसा कि सब जानते महादेव के परम भक्त होने और उनके प्यारे गुरु का धनुष टूटा देख वे बहुत वे बहुत क्रोधित हो उठे और नारायण अवतार श्री परशुराम जी ने श्रीराम और लक्ष्मण को पहचाने बिना ही उन्हें खूब बुरा-भला कहा लेकिन बाद में जब उन्हें ये अहसास हुआ कि राम जी भगवान विष्णु के अवतार है । तब जा कर नारायण अवतार शांत उसे ओर वापस से घने जंगलों के बीच एक पहाड़ पर चले गए. वहीं पर उन्होंने अपना फरसा गाड़ दिया और तपस्या करने लगे.उसी जगह को आज टांगीनाथ धाम के नाम से जाना जाता है, और व्हा पर फरसे के अलावा भगवान परशुराम के पदचिह्न भी यहाँ पर मौजूद हैं.आपको बता दें की टांगीनाथ धाम में सैकड़ों शिवलिंग और प्राचीन प्रतिमाएं भी हैं और वो भी खुले आसमान के नीचे है. बताया जाता है कि साल 1989 में पुरातत्व विभाग ने यहां खुदाई करवाईजिसमें हीरा जड़ित मुकुट और सोने-चांदी के आभूषण समेत कई कीमती वस्तुएं मिली थीं.
हालांकि बाद में अचानक ही खुदाई बंद कर दी गई थीं अब इसके पीछे क्या वजह थी, यह आज भी एक रहस्य ही है. वहीं खुदाई में मिली चीजें आज भी डुमरी थाना के मालखाने में रखी हुई हैं।

हर हर महादेव जी 🙏
जय नाराण अवतार श्री परशुराम जी🚩


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